tag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post3853445425451036838..comments2023-10-01T07:46:51.599-07:00Comments on पथ के साथी : प्रत्यक्षा ::अपर्णा मनोजhttp://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-46635767043778298882014-02-13T19:53:26.737-08:002014-02-13T19:53:26.737-08:00Sundar!Sundar!Pratibha Katiyarhttps://www.blogger.com/profile/08473885510258914197noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-33063382492110825812014-02-12T21:55:10.140-08:002014-02-12T21:55:10.140-08:00bahut sunder anuvaaad!bahut sunder anuvaaad!ravindra vyashttps://www.blogger.com/profile/14064584813872136888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-33424471577412498802014-02-12T19:34:09.505-08:002014-02-12T19:34:09.505-08:00कवितायेँ व् अनुवाद दौनों अच्छे शुक्रिया अपर्णा ,प्...कवितायेँ व् अनुवाद दौनों अच्छे शुक्रिया अपर्णा ,प्रत्यक्षा जी के इस सराहनीय प्रयास को पढवाने के लिए |सरिता जी की टिप्पणी से असहमत |पाब्लो नरूदा निस्संदेह विश्व प्रसिद्द कवी हैं लेकिन'' हिन्दी में ज़ल्दबाजी के बेसिरपैर लेखन को पढने के बाद.....इत्यादि ये कहना शायद थोड़ी ज़ल्दबाजी होगी |क्या ये निर्णय या निष्कर्ष नोबेल पुरुस्कारों में हिन्दी साहित्य की संख्या (सिर्फ टैगोर)को देखकर निकला गया है?या फेस्बुकीय कविताओं को पढने और नापसंदगी के उपसंहार स्वरुप ? यदि विदेशी कवियों में टी एस इलियट ,वीसेंते आलेक्सान्द्र (स्पेनिश कवी)सीमस हीनी (आयरलेंड),या विस्वासा ज़िम्बोर्सका (पोलिश कवियत्री)जैसे महान कवी हुए हैं तो हिन्दी साहित्य में भी कम अच्छे कवी नहीं हुए |यदि बेसिरपैर के लेखन से तात्पर्य कचरा लेखन से है तो क्या विदेशी साहित्य सिर्फ और सिर्फ उत्कृष्ट ही होता रहा है?<br />वंदना शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/16964614850887573213noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-65767907481877861792014-02-12T18:26:02.318-08:002014-02-12T18:26:02.318-08:00Waah!!Waah!!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-40854812437684383432014-02-12T17:24:32.340-08:002014-02-12T17:24:32.340-08:00पाब्लो नेरुदा की कविता प्रेम के कोलाहल के बीच शांत...पाब्लो नेरुदा की कविता प्रेम के कोलाहल के बीच शांति स्थापित करती है.सेमस हीनी के बिम्ब मन में ठहर जाते हैं. विश्व के महान लेखकों को पढना हमें नम्र बनाता है और अपना सही स्थान दर्शाता है कि अगर हम बेहतरीन और सार्थक न लिखें तो चुपचाप पढ़ते रहें. हिंदी में जल्दबाजी के बेसिरपैर लेखन को पढने से बेहतर है 'गो फॉर दी बेस्ट.' दुनिया भर के लेखकों से हिंदी बुलवा दी जाये. बढ़िया चयन और अनुवाद.sarita sharmahttps://www.blogger.com/profile/03668592277450161035noreply@blogger.com