tag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post4486067647675894913..comments2023-10-01T07:46:51.599-07:00Comments on पथ के साथी : अरुण देव ::अपर्णा मनोजhttp://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comBlogger40125tag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-77092039467919897562014-04-28T19:16:01.040-07:002014-04-28T19:16:01.040-07:00शानदार ,लाजवाब ,भावपूर्ण अभिव्यक्ति |कविता अपने जी...शानदार ,लाजवाब ,भावपूर्ण अभिव्यक्ति |कविता अपने जीवन्ता के साथ मौजूद है |Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/08713896589867388766noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-63563247815091297952012-10-30T07:52:01.186-07:002012-10-30T07:52:01.186-07:00बहुत शानदार और अभिव्यक्तिपूर्ण कविताएं ..............बहुत शानदार और अभिव्यक्तिपूर्ण कविताएं .............शिल्प और वस्तु का जो समयोजन अरुण की कविताओं में आता है वही इन्हें ना सिर्फ अभिव्यक्ति और संवेदना के स्तर पर विस्तृत करता है बल्कि कविता को किसी सुंदर पेंटिंग में भी तब्दील कर देता है .........मैंने पहले भी कहा है मूर्त बिम्बो का इतना प्रखर कवि हिंदी की युवा कविता में दूसरा कोई भी नहीं है ..........कवि यथार्थ की नंगी तस्वीरे ऐसे उकेरते हुए जुटे हैं जैसे सौंदर्य जीवन में कही बचा ही नहीं हो ............फॉर्म और कंटेंट दोनों कविता की अर्थवत्ता कैसे बढ़ाते हैं अरुण देव की कवितायेँ इसकी गवाह हैं.....कविता सिर्फ बयान और वार्तालाप नहीं होती ........युवा कवि थोड़ा इस पर भी ध्यान दे तो युवा कविता इतनी दयनीय और बेचारी नहीं रहेगी ..........अपर्णा जी आपको बधाई ऐसी कविताओं से पाठकों को गुजारने के लिए...... परितोषhttps://www.blogger.com/profile/05931957208229640528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-64342798294980240642012-10-29T08:43:13.847-07:002012-10-29T08:43:13.847-07:00इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.Anupamhttps://www.blogger.com/profile/03795204802599312040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-26856509226761047592012-10-29T08:40:56.832-07:002012-10-29T08:40:56.832-07:00Sagar mein duboti si kavitayeen !Sagar mein duboti si kavitayeen !Anupamhttps://www.blogger.com/profile/03795204802599312040noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-11494527664898531032011-08-23T00:26:52.468-07:002011-08-23T00:26:52.468-07:00बहुत अच्छी कविताएं... वैराग्य ने देर तक नहीं छोड़ा...बहुत अच्छी कविताएं... वैराग्य ने देर तक नहीं छोड़ा। <br />अपर्णा.. आपका शुक्रिया। अरुण जी को कोटिश: बधाई।Madhavi Sharma Gulerihttps://www.blogger.com/profile/16631056754905273392noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-22173409609343149872011-08-11T06:21:01.568-07:002011-08-11T06:21:01.568-07:00इतनी टिप्पणी आ चुकी है कि मै क्या कहूँ। आपको साधुव...इतनी टिप्पणी आ चुकी है कि मै क्या कहूँ। आपको साधुवाद। बेहतरीन रचनायें मिली पढ़ने के लिये।<br />कम से कम मुझे एक अमरुद ही हो जाने दो <br />की तुम जब उसे खाओ तो पाओ <br />मीठा और स्वादिष्ट<br /><br />और मैं उसका एक बीज <br />तुम्हारे दांतों के बीच फंसा हुआ<br /><br />अभी-अभी गाय के थन से लौटा हूं<br />न संशय <br />न आभार<br /><br />भगौने में उबल रही है बछड़े की प्यास<br /><br />बहुत सुन्दर!सुनीता शानूhttps://www.blogger.com/profile/11804088581552763781noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-73181968610073613342011-08-10T12:02:23.831-07:002011-08-10T12:02:23.831-07:00सुन्दर कवितायेँ ! वैराग्य कविता पर देर तक ठहरा रहा...सुन्दर कवितायेँ ! वैराग्य कविता पर देर तक ठहरा रहा! शुभकामनाएं !<br />~ amrendra nath tripathiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-40638085115719825962011-08-10T07:18:35.418-07:002011-08-10T07:18:35.418-07:00अगर मैं चाँद होता
रौशनी के सहारे उतर आता हर रात त...अगर मैं चाँद होता <br />रौशनी के सहारे उतर आता हर रात तुम्हारे पास <br />तुम्हारे चेहरे की आभा में धीरे धीरे घुलता हुआ..<br />और कभी न होती अमावस <br />kas ki kavitaye yu hi utarti jiwan me vi. bhut sunder arun mere pas shabad nahi hai. ye aag jalti rahe . suvkanayekhusinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-49565036200752468982011-08-10T03:56:52.889-07:002011-08-10T03:56:52.889-07:00सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक ...आभार ।सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक ...आभार ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-73329757476825344082011-08-10T02:28:36.837-07:002011-08-10T02:28:36.837-07:00बेहतरीन रचनाये....बेहतरीन रचनाये....विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-5668859595148614032011-08-10T01:59:56.227-07:002011-08-10T01:59:56.227-07:00sabhi kavitaaye bhaut hi acchi hai... bhaut khub s...sabhi kavitaaye bhaut hi acchi hai... bhaut khub shabdo ka sarjan hai... apka abhaar...सागरhttps://www.blogger.com/profile/04586480950461229346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-38789781437338263862011-08-10T00:13:53.292-07:002011-08-10T00:13:53.292-07:00kai dino ke baad achhi kavitayen padhin..badhai..A...kai dino ke baad achhi kavitayen padhin..badhai..Arun jiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-84842299601255221462011-08-09T23:58:29.907-07:002011-08-09T23:58:29.907-07:00'' ........और मैं एक बीज
तुम्हारे दांतों ...'' ........और मैं एक बीज <br />तुम्हारे दांतों के बीच फंसा हुआ !''<br />'हमारी दुनिया' भी मार्मिक है , <br />संवेदना से भरपूर रूमानी और सुन्दर कविताए !sudha aroranoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-78073073668017644642011-08-09T22:59:18.239-07:002011-08-09T22:59:18.239-07:00बहुत अच्छी प्रस्तुतिबहुत अच्छी प्रस्तुतिसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-33703588305636461572011-08-09T18:40:00.842-07:002011-08-09T18:40:00.842-07:00संसारी होते हुए भी असंसारी हूँ "बहुत खूब |
आश...संसारी होते हुए भी असंसारी हूँ "बहुत खूब |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-3523921846999985612011-08-09T18:39:36.841-07:002011-08-09T18:39:36.841-07:00कभी-कभी फोकस ठीक करना होता है
काटनी होती है कालिम...कभी-कभी फोकस ठीक करना होता है <br />काटनी होती है कालिमा<br />नहीं तो बिखर जाता है प्रकाश <br />धुंधला पड़ जाता है लक्ष्य<br /><br /><br />भगौने में उबल रही है बछड़े की प्यास<br /><br />मेरा कोई देश नहीं<br />व्याकरण के जल्लाद और मीमांसा के धर्माधिकारी सुन लें <br />अब मुझे नहीं रहना भाषा के घर में भी <br /><br />मनुष्यता के महाजंगल में <br />तुम्हारी क्रूरता और कपट के इतने विष वृक्ष हैं <br />की अब मैं एक जानवर की तरह भी नहीं रह सकता यहाँ.<br /><br />behtreen rachna sansaar hai aapkaVandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-41659853372403323652011-08-08T02:27:28.464-07:002011-08-08T02:27:28.464-07:00अमरूद का बीज....बहुत मौलिक अभिव्यक्ति अरुण. बढ़िया...अमरूद का बीज....बहुत मौलिक अभिव्यक्ति अरुण. बढ़िया हैं सारी कवितएँ.manishahttps://www.blogger.com/profile/10156847111815663270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-16608506571247080542011-08-07T23:17:01.329-07:002011-08-07T23:17:01.329-07:00बहुत ख़ूब अरुण भाई। कविता का आनन्द पाया।बहुत ख़ूब अरुण भाई। कविता का आनन्द पाया।Farid Khanhttps://www.blogger.com/profile/04571533183189792862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-31993575184834672002011-08-07T20:03:22.912-07:002011-08-07T20:03:22.912-07:00अहा........ ये कविताएं हैं कि जीवन से भरा अहसासों ...अहा........ ये कविताएं हैं कि जीवन से भरा अहसासों का कटोरा ? कोई मुझे बताए. ...गजब की और सरल-सी कविताएं हैं....ये पंक्तियां सौ कवितओं के बराबर है .....अभी-अभी गाय के थन से लौटा हूं<br />न संशय <br />न आभार<br /><br />भगौने में उबल रही है बछड़े की प्यास<br /><br />धूप में कुलाचें भर रहा है बछड़ा<br />न शिकायत<br />न आक्रोश<br /><br />ऐसी न जाने कितनी क्रूरताओं पर टिकी है<br />हम मनुष्यों की दुनिया.<br /><br />इसी तरह प्रेम के अहसासों से भरी कवितों में ....ये पंक्ति पसंद आ गई काश मैं हवा होता <br />बरसों अदृश्य रह तुम्हारे साथ रहता.. <br />तुमसे लिपटा हुआ हमेशा<br />तुम्हारी उदप्त सांसों में .........वह भाई अरुण देव...बधाईNaresh Chandrkarhttps://www.blogger.com/profile/04402943856397087631noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-2822533011782545322011-08-07T08:21:47.493-07:002011-08-07T08:21:47.493-07:00चिंतन परक कविताओं में संवेदना की अद्धभुत छुअन .......चिंतन परक कविताओं में संवेदना की अद्धभुत छुअन .... एक तरफ़ मीरां जैसा... समर्पण का भाव और दूसरी तरफ़ तथा-कथित मनुष्यता की परिभाषा...शुक्रिया और शुभाकामनाएं भी...!राजेश चड्ढ़ाhttps://www.blogger.com/profile/13615403040017262901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-17884104806331395062011-08-07T05:38:06.943-07:002011-08-07T05:38:06.943-07:00आद। अरुण जी की सभी कविताएं बहुत अच्छी लगीं।
सादर...आद। अरुण जी की सभी कविताएं बहुत अच्छी लगीं। <br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-63132454888536084842011-08-07T05:34:28.429-07:002011-08-07T05:34:28.429-07:00भगौने में उबल रही है बछड़े की प्यास
धूप में कुलाच...भगौने में उबल रही है बछड़े की प्यास<br /><br />धूप में कुलाचें भर रहा है बछड़ा<br />न शिकायत<br />न आक्रोश<br /><br />ऐसी न जाने कितनी क्रूरताओं पर टिकी है<br />हम मनुष्यों की दुनिया.<br /><br />बहुत ही अद्भुत भावाभिव्यक्ति है...नवनीत पाण्डेhttps://www.blogger.com/profile/14332214678554614545noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-69381185082249925282011-08-07T05:08:45.065-07:002011-08-07T05:08:45.065-07:00bahut achchhi kavitaye hai arun ji...
अभी अभी अपन...bahut achchhi kavitaye hai arun ji...<br /><br />अभी अभी अपनी युवा पत्नी से भिक्षा लेकर लौटा हूँ<br />अपनी माँ के सामने अडिग मैंने घोषणा की है <br />कोई नहीं मेरी माँ, मेरा पिता, मेरा प्रजापति<br />कोई धर्म ग्रन्थ मेरा नहीं <br />जीवन की सारी परिपाटियो को आज अस्वीकर करता हूँ मैंNilay Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/11983436832419492691noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-85431826283903339562011-08-07T01:52:50.110-07:002011-08-07T01:52:50.110-07:00अरुण देव जी , मुझे आपकी पहली कविता को छोड़ कर बाकी...अरुण देव जी , मुझे आपकी पहली कविता को छोड़ कर बाकी सारी कवितायेँ बेहद अच्छी लगी हैं !पहली कविता के विषय में बस यह कहूँगा कि -' न जाने किन भावनात्मक विवशताओं के आग्रह के कारन मुझे दैन्य भाव अच्छा नहीं लगता ! शायद इसी लिए मुझे भक्ति -भाव भी नहीं रुचता ! इसे अहम् न समझें ,यह केवल अपनी उपस्थिति को बनाये और बचाए रखना है !'अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-90491581021542929412011-08-06T09:36:39.094-07:002011-08-06T09:36:39.094-07:00अगर मैं चाँद होता
रौशनी के सहारे उतर आता हर रात त...अगर मैं चाँद होता <br />रौशनी के सहारे उतर आता हर रात तुम्हारे पास <br />तुम्हारे चेहरे की आभा में धीरे धीरे घुलता हुआ..<br />और कभी न होती अमावस<br /><br />प्रेम की इतनी रेशमी चाहत ..उम्दा ...<br /><br />हमारी दुनिया में मनुष्य के द्वारा एक बच्चे जानवर / बछड़े का अपने माँ / गाय के दूध से अधिकार छिनना ..बड़ा दर्द भरा लगा...<br /><br />वैराग्य भी बड़ी जबरदस्त लगी... अरुण जी की लेखनी को सलाम ..अपर्णा जी को आभार...डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.com