tag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post6442258188608083591..comments2023-10-01T07:46:51.599-07:00Comments on पथ के साथी : रामकुमार तिवारी ::अपर्णा मनोजhttp://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-68667814783909000892011-04-08T01:56:34.365-07:002011-04-08T01:56:34.365-07:00सुंदर....मन में पैठ करती कविताऍं...'न होने की...सुंदर....मन में पैठ करती कविताऍं...'न होने की आवाज' और 'जाग रहा है मौन' बहुत ही अच्छी लगी...उत्तमराव क्षीरसागरhttps://www.blogger.com/profile/16910353784499813312noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-7966507570929176422011-04-06T09:43:34.451-07:002011-04-06T09:43:34.451-07:00vaah bhyi vaah....vaah bhyi vaah....bhootnathhttps://www.blogger.com/profile/06338277812204076137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-65425043989476890352011-04-06T08:19:37.056-07:002011-04-06T08:19:37.056-07:00कविताओ के शीर्षक प्रथम पंक्ति की जगह आ गए है. जि...कविताओ के शीर्षक प्रथम पंक्ति की जगह आ गए है. जिससे पढने की लय बाधित होती है.<br /><br />ये शीर्षक हैं - इन्हें शीर्षक की तरह ही स्पेस देकर /बोल्ड कर प्रकाशित किया जाता तो उत्तम होता.<br /><br />आकाश उड़ रहा है<br />जितना चाहता था<br />न होने की आवाज<br />किसी का जाना<br />जाग रहा है मौन<br />देख रहा हूँ जन्म<br />** सुन्दर कविताओ के लिए बधाई.<br /><br /><br />-सुनील शर्मा,Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/03850425842913418655noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-62819812083363225042011-04-05T09:29:14.500-07:002011-04-05T09:29:14.500-07:00किसी का जाना
पास आ रहा है.....
काफी कुछ ऐसे हैं ज...किसी का जाना<br />पास आ रहा है.....<br /><br />काफी कुछ ऐसे हैं जैसे की उसका करीब न होना पर फिर भी उसका होना बिलकुल वैसे ही..हमेशा जैसा <br /><br />सुन्दर पंक्तियाँ ...आभार तिवारी जी<br />बहुत बहुत धन्यवाद अपर्णा दी.Dadduhttps://www.blogger.com/profile/07163121901181099441noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-32108648220762609662011-04-05T02:31:58.866-07:002011-04-05T02:31:58.866-07:00गंभीरता में गहरे उतरे प्रेम की गठी हुई रचनाएँ !
ऐस...गंभीरता में गहरे उतरे प्रेम की गठी हुई रचनाएँ !<br />ऐसे एकांत की अनुभूतियाँ जिसमे हर पल और हर जगह <br />किसी का साथ है !अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-44103401589554222482011-04-04T23:43:46.261-07:002011-04-04T23:43:46.261-07:00बहुत ही सुन्दर कवितायें।बहुत ही सुन्दर कवितायें।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-76305442690293135842011-04-04T23:14:55.815-07:002011-04-04T23:14:55.815-07:00अपनी स्मृति-सा जाग रहा है जल
तुम्हारे रंग में...
...अपनी स्मृति-सा जाग रहा है जल<br />तुम्हारे रंग में...<br /><br />देख रहा हूँ भीतर को बाहर<br />देख रहा हूँ जन्म...<br /><br /><br />प्रकट हुई आभा<br />मौन होकर निकटतर<br />होती गई दिशाएँ..<br /><br />बहुत सुन्दर कवितायें ..कवि को बधाई . आपका आभार कि आप इन्हें यहाँ लेकर आईं .महेश वर्मा mahesh verma https://www.blogger.com/profile/04275583629021409585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-40807854911098617752011-04-04T22:32:28.098-07:002011-04-04T22:32:28.098-07:00बहुत मृदुल कवितायेँ..तिवारी जी आपको शुभकामनायें..बहुत मृदुल कवितायेँ..तिवारी जी आपको शुभकामनायें..मनीषाhttps://www.blogger.com/profile/03108875069586485366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-8634529808215834592011-04-04T22:10:43.797-07:002011-04-04T22:10:43.797-07:00प्रेम को लेकर अपने अन्त:करण में औदात्य का ऐसा भा...प्रेम को लेकर अपने अन्त:करण में औदात्य का ऐसा भाव हो तो संवेदना का धरातल कितना अपरिमित हो जाता है, रामकुमार तिवारी की ये प्रेम कविताएं इसकी जीवंत मिसाल हैं। यह बात अपने आप में विस्मित करती है कि वे अपने प्रिय की छवि कभी अन्तरिक्ष के अनगिनत सितारों के बीच देखते हैं, कभी झील की झिलमिल लहरों में तो कभी हरे-भरे पेड़ों-पहाड़ों की निर्मल गोद में या कभी चांद-सितारों के सौंधे उजास में। ऐसी निथरी हुई संवेदना ही बेहतर कविता के लिए जमीन तैयार करती हैं। बधाई।नंद भारद्वाजhttps://www.blogger.com/profile/10783315116275455775noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-13796721447845171802011-04-04T20:01:54.186-07:002011-04-04T20:01:54.186-07:00भूल गया घड़ी
करता रहा प्रतीक्षा
लेकिन नहीं कर सका...भूल गया घड़ी <br />करता रहा प्रतीक्षा<br />लेकिन नहीं कर सका उतनी<br />जितनी चाहता था<br /><br />................<br />................<br />समाधि से धक-धक की आवाज<br />आ रही है <br />................<br />धुंध की ओट में<br />झील बदल रही है वस्त्र<br />..........<br />किसी का जाना<br />पास आ रहा है<br />...........<br />भूल गया घड़ी <br />करता रहा प्रतीक्षा<br />लेकिन नहीं कर सका उतनी<br />जितनी चाहता था<br />harpreet kaurharpreethttps://www.blogger.com/profile/04881794424797478288noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-25103601116256719192011-04-04T19:40:46.452-07:002011-04-04T19:40:46.452-07:00झील आकाश जल मौन सन्नाटा और समाधि ... हाँ प्रेम ही ...झील आकाश जल मौन सन्नाटा और समाधि ... हाँ प्रेम ही तो है ये ....जाने कैसी आभासित हो रहा है...हाँ मौन और सब कुछ अपना सा...<br /><br /><br />आभार अपर्णा ....<br />और बधाई राजकुमार जी को..गीता पंडितhttps://www.blogger.com/profile/17911453195392486063noreply@blogger.com