tag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post649523225229217832..comments2023-10-01T07:46:51.599-07:00Comments on पथ के साथी : वल्लरी ::अपर्णा मनोजhttp://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-30748300610260068442013-01-10T10:24:35.996-08:002013-01-10T10:24:35.996-08:00कुछ दिन पहले मुझे ये आभास हुआ कि जीवन मेँ हम जिस द...कुछ दिन पहले मुझे ये आभास हुआ कि जीवन मेँ हम जिस दुखद पल से डरते रहते हैँ वह एक साए कि तरह हमारा पीछा करता है<br />सँयोग से जीवन के हर मोड़ पर हमसफर कि तरह हमे धोखा मिलता है<br />अपकी कविता पढ़ के लगा कि ये मेरे नजदीक से गुजरी है<br /><br />किस निष्ठुरता कि बात करुँ?<br />जग ही निष्ठुर अब लगताहै, कोई कितना भी जुडना चाहे,<br />उतना ही ये दुर्धर लगता है,<br />निर्मोही मेँ मोह कहाँ?,<br />कहाँ बंधता वह बँधन मेँ?<br />किसमे इतनी शक्ति व्यापित?<br />जो लिपट सके उस चँदन मेँअभिषेक शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/06009944798501737095noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-27803010287745216872012-09-17T10:05:34.562-07:002012-09-17T10:05:34.562-07:00काफ़ी देर से आया यहाँ (हालांकि पहले दिन सिर्फ़ सरस...काफ़ी देर से आया यहाँ (हालांकि पहले दिन सिर्फ़ सरसरी तौर पर देख लिया था), इसके लिए क्षमा चाहूंगा। सबसे पहले तो वल्लरी को बधाई। संभवतः पहली बार वल्लरी की कविता हम सब के सामने आई है। <br />ग़ज़ब की ताज़गी है इन कविताओं में। <br /><br />"मेरी सीढियों पे कल की बारिश के बाद,<br />अलसाये पत्ते बिखरे थे.<br />तुम शाम की गंध से मेरे भीतर,<br />अलसाये अजगर से लिपटे रहते हो"। <br /><br />"कटे नाखूनों से,घटते चाँद से तुम ओझल हो रहे हो. <br />बातों के टुकडो की चुभन मुट्ठी में समेटे,<br />खामोश,उस झील के किनारे खड़े हो,<br />जहाँ आखों की पुतलियो सी काली रात में <br />कांपती घास बनती है मछलियों का भोजन,<br />और मछलियाँ उस भेडिया का जो निष्ठुरता का<br />परिचय है"। <br /><br />रचनाकर्म जारी रहे इसकी शुभकामनाएँ। <br /><br />Farid Khanhttps://www.blogger.com/profile/04571533183189792862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-10853495197578946032012-09-13T01:17:17.635-07:002012-09-13T01:17:17.635-07:00Tumhari rachna Padhkar bahut Garv mahsoos hua..Tumhari rachna Padhkar bahut Garv mahsoos hua..Bharathttps://www.blogger.com/profile/02538501059011259692noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-33726593256200073952012-09-11T11:30:11.994-07:002012-09-11T11:30:11.994-07:00"मैंने लोगों के झुरमुट में
तुम्हें सूरज के स..."मैंने लोगों के झुरमुट में <br />तुम्हें सूरज के साथ उगते देखा है, सुर्ख लाल,<br />मेरी भृकुटियों के बीच<br />आ सिमटते हो तुम." प्रकृति और मानवीय रिश्तों के बीच गहरी आत्मीयता की तलाश में उभरते ये काव्य-बिम्ब वल्लरी की कविता को अलग रंगत देते हैं, इन्सानियत को पनपते देखने की आकांक्षा इन कविताओं को एक और वृहत्तर आयाम देती हैं। शुभकामनाएं। नंद भारद्वाजhttps://www.blogger.com/profile/10783315116275455775noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-79225414232897386592012-09-11T10:57:35.417-07:002012-09-11T10:57:35.417-07:00''एक चहकती हुई गौरैया के क़दमों से
ख्वाहिश...''एक चहकती हुई गौरैया के क़दमों से<br />ख्वाहिश ने मन में घोसला बना लिया ,<br />कल शाम से<br /><br />जाने भाप बन कर उड़ जायेगा या <br />हाथ बनकर साथ रहेगा.''.............!!! पिता की राह पर...!! आश्चर्य... आत्मसुख... हार्दिक बधाइयाँ बेटी वल्लरी ! सुशीला पुरीhttps://www.blogger.com/profile/18122925656609079793noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-67479277128316676212012-09-11T03:06:36.982-07:002012-09-11T03:06:36.982-07:00बहुत प्यारी मगर परिपक्व...कवितापन का पूरापन लिए हु...बहुत प्यारी मगर परिपक्व...कवितापन का पूरापन लिए हुए, वल्लरी बधाई, आज तुम्हारे पापा से ज़िक्र हुआ इन कविताओं का जब वि.हि. सम्मेलन की काग़जी कार्यवाही के दौरान सुलभ जी वहाँ मिले... मनीषा कुलश्रेष्ठ manishahttps://www.blogger.com/profile/10156847111815663270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-87374690357402683872012-09-10T10:08:41.577-07:002012-09-10T10:08:41.577-07:00जंगली फूलों की-सी अनगढ़ता और वैसा ही आकर्षण......कव...जंगली फूलों की-सी अनगढ़ता और वैसा ही आकर्षण......कविता की फुलवारी में इस नये फूल का स्वागत....<br />आशा करते हैं जल्द ही वल्लरी की और भी कविताएं पढ़ने का मौका मिलेगा...अनंत शुभकामनाएं!प्रशान्तhttps://www.blogger.com/profile/11950106821949780732noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-57284963403742569772012-09-10T09:00:05.859-07:002012-09-10T09:00:05.859-07:00Aise hi likhte raho, kalam or syahi dono ko tumse ...Aise hi likhte raho, kalam or syahi dono ko tumse pyaar hai, akshar khud-bakhud lipat jayenge panno se, bus likhti raho.Vatsala Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/03164376668310683597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-19480219581346044392012-09-10T07:52:55.892-07:002012-09-10T07:52:55.892-07:00तुम शाम की गंध से मेरे भीतर,
अलसाये अजगर से लिपटे ...तुम शाम की गंध से मेरे भीतर,<br />अलसाये अजगर से लिपटे रहते हो................ मैंने काफी आवाजों को ,<br />मुट्ठी मैं क़ैद कर रखा है...... इन पंक्तियों से आपने मेरा दिल खुश कर दिया है ! इन पंक्तियों में आपके हस्ताक्षर हैं .... शुभकामनाएँ वल्लरी जी ... मुबारक इन कविताओं के लिए Naresh Chandrkarhttps://www.blogger.com/profile/04402943856397087631noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-89802360818313151002012-09-10T07:31:47.274-07:002012-09-10T07:31:47.274-07:00अच्छी कविता |अच्छी कविता |जयकृष्ण राय तुषारhttps://www.blogger.com/profile/09427474313259230433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-63775408534324209812012-09-10T07:20:32.610-07:002012-09-10T07:20:32.610-07:00अरे ... तुम भी कविता की कतार में आ खड़ी हुई? बहुत ...अरे ... तुम भी कविता की कतार में आ खड़ी हुई? बहुत खूब। बहुत बधाई।Avinash Dashttps://www.blogger.com/profile/17920509864269013971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-42272722736409669222012-09-10T06:56:07.703-07:002012-09-10T06:56:07.703-07:00वाह, वाह !
क्या बात है !!
इसी तरह सृजन से जुड़ी रह...वाह, वाह !<br />क्या बात है !!<br />इसी तरह सृजन से जुड़ी रहें !!!PARVEZ AKHTARhttps://www.blogger.com/profile/04818924991509229591noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-14750375635405304982012-09-10T05:48:01.922-07:002012-09-10T05:48:01.922-07:00संदूक में सुराख़ है
सोच फिर आजाद है :)
खूबसूरत आज़...संदूक में सुराख़ है<br />सोच फिर आजाद है :)<br /><br />खूबसूरत आज़ाद शब्द!दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMAhttps://www.blogger.com/profile/12486880239305153162noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-71750569244228443732012-09-10T05:43:21.155-07:002012-09-10T05:43:21.155-07:00sabhi rachnayen bahut achchhi hai !sabhi rachnayen bahut achchhi hai !जय नारायण त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/13874672963963138016noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-66619605505550048492012-09-10T05:38:55.591-07:002012-09-10T05:38:55.591-07:00वल्लरी की कविताओं में प्रकृति से लिए गए बिम्ब नयाप...वल्लरी की कविताओं में प्रकृति से लिए गए बिम्ब नयापन लिए हुए हैं और घटती इंसानियत के प्रति चिंता संवेदनशीलता को दर्शाती है.रास्ते और रिश्ते समान लगते हैं क्योंकि दोनों फिसलते जाते हैं.sarita sharmahttps://www.blogger.com/profile/03668592277450161035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-63535362569244971392012-09-10T05:33:26.615-07:002012-09-10T05:33:26.615-07:00बधाई.
पहली बार पढ़ा वल्लरी को. कविताएँ सु गठित हैं...बधाई.<br />पहली बार पढ़ा वल्लरी को. कविताएँ सु गठित हैं और फ्रेश लगी. पहली कविता का गठन लाजबाब है.<br />मेरी सीढियों पे कल की बारिश के बाद,<br />अलसाये पत्ते बिखरे थे.<br />तुम शाम की गंध से मेरे भीतर,<br />अलसाये अजगर से लिपटे रहते हो.<br /><br />कटे नाखूनों से,घटते चाँद से तुम ओझल हो रहे हो. <br />बातों के टुकडो की चुभन मुट्ठी में समेटे,<br />खामोश,उस झील के किनारे खड़े हो,<br />जहाँ आखों की पुतलियो सी काली रात में <br />कांपती घास बनती है मछलियों का भोजन,<br />और मछलियाँ उस भेडिया का जो निष्ठुरता का<br />परिचय है. arun dev https://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-4551842209750557312012-09-10T05:05:29.434-07:002012-09-10T05:05:29.434-07:00बधाई वल्लरी.....इस प्रथम प्रकाशन पर बधाई और शुभका...बधाई वल्लरी.....इस प्रथम प्रकाशन पर बधाई और शुभकामनाएं....sulabhhttps://www.blogger.com/profile/00621309580425220016noreply@blogger.com