tag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post6698785426226921166..comments2023-10-01T07:46:51.599-07:00Comments on पथ के साथी : अरुण देव ::अपर्णा मनोजhttp://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-25491059920341188152011-06-28T15:44:08.331-07:002011-06-28T15:44:08.331-07:00शिल्प की नफासत देखने लायक है. अरुण देव की कविता गह...शिल्प की नफासत देखने लायक है. अरुण देव की कविता गहरे प्रभाव छोड़ती हैं . फॉण्ट कुछ बड़ा नही हो सकता क्या? मेरी नज़र अब कम्ज़ोर हो रही है....अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-87555394269471055192011-03-08T08:30:41.506-08:002011-03-08T08:30:41.506-08:00बेहतरीन कविताएं!!वाकई अद्भुत! "धार पर पीले पु...बेहतरीन कविताएं!!वाकई अद्भुत! "धार पर पीले पुष्पों की बारिश" को पिछले सप्ताह भर में कई बार लौट-लौट कर पढ़ा और मंत्रमुग्ध हुआ हूं.<br />अरूणजी इन खूबसूरत कविताओं के लिये बधाई के पात्र हैं. उनकी रचनाओं का और भी बेसब्री से इंतज़ार रहा करेगा अब...प्रशान्तhttps://www.blogger.com/profile/11950106821949780732noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-80435847044571601902011-03-04T21:19:35.775-08:002011-03-04T21:19:35.775-08:00बहुत खूबसूरत कविताएँ .....
कितना कुछ अनकहा-सा कह द...बहुत खूबसूरत कविताएँ .....<br />कितना कुछ अनकहा-सा कह दिया है आपने......<br />बहुत बहुत बधाई अरुण जी!ज्योत्स्ना पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/14491409510866077940noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-44219263807698398582011-03-04T17:41:05.146-08:002011-03-04T17:41:05.146-08:00बहुत ही मर्मस्पर्शी कविताएं हैं, अरुण, बधाई...बहुत ही मर्मस्पर्शी कविताएं हैं, अरुण, बधाई...Purushottam Agrawalnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-34606346811016883122011-03-04T09:33:11.207-08:002011-03-04T09:33:11.207-08:00इन रचनाओं को देख मन में यही आता है -
हे मानव ! अद्...इन रचनाओं को देख मन में यही आता है -<br />हे मानव ! अद्भुत है ,अवक्त को व्यक्त करने की <br />तेरी अदम्य इच्छा और अथक प्रयत्न !<br />एक सीमित शब्द में कैसे असीमित भाव और अर्थ <br />को भरता है ! धन्य है तू !अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-22040500393686710072011-03-04T07:45:09.094-08:002011-03-04T07:45:09.094-08:00तुम्हारे साथ कोई तुम सा याद आता है
तुम्हारी हंसी म...तुम्हारे साथ कोई तुम सा याद आता है<br />तुम्हारी हंसी में वही परिचित से फूल<br /><br />प्रारम्भ से ही अन्त की आहट<br />तुम्हारी खुशी में उस खुशी के मुरझाए हुए दुःख<br /><br />इस अपनेपन में मुझे दिखती है<br />बेगानेपन की वह पगडण्डी<br />बहुत ही सुंदर अनुभूति है अरुण जी!नवनीत पाण्डेhttps://www.blogger.com/profile/14332214678554614545noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-47343572824257626442011-03-04T04:47:04.395-08:002011-03-04T04:47:04.395-08:00'...एक भौरे की इच्छा है कि वह रहे तुम्हारी पंख...'...एक भौरे की इच्छा है कि वह रहे तुम्हारी पंखुडियों में <br />शव होने तक...'<br />कमाल की अभिव्यक्ति...manoj chhabrahttps://www.blogger.com/profile/10273888640315907337noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-63754105382455345622011-03-01T02:01:16.076-08:002011-03-01T02:01:16.076-08:00मैं चकित हूँ इन्हें पढ कर.
कह रहा था मैं कुछ
ठीक ...मैं चकित हूँ इन्हें पढ कर. <br />कह रहा था मैं कुछ<br />ठीक उसी तरह जैसे बांसुरी के इक छोर पर कहती है हवा<br />और जो देर तक गूंजता रहता है<br />मन की बावड़ी में<br />जिसकी सीढ़ी पर बैठे-बैठे<br />भीग जाती हैं आँखें<br />अरूण जी अद्भुत अनुभव रहा इन्हें पढना, लगा मेरी बात नितांत नए ढंग कर कौन कह रहा है? जो कवि स्त्री मन की बात इस सहजता से कह जाए वह सफल कवि !!manishahttps://www.blogger.com/profile/10156847111815663270noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-79302817541899001372011-02-28T00:40:24.501-08:002011-02-28T00:40:24.501-08:00गजब की सुंदर ऐन्दिक कविताएं हैं.परंपरा से जुडीं......गजब की सुंदर ऐन्दिक कविताएं हैं.परंपरा से जुडीं...गहरे भावबोध से सम्पन्न.अरुन को बधाई.सुमन केशरीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-483973265483350212011-02-26T19:37:37.274-08:002011-02-26T19:37:37.274-08:00कितनी सुंदर होती हे प्रेम की पराकाष्ठा ..
एक भौरे ...कितनी सुंदर होती हे प्रेम की पराकाष्ठा ..<br />एक भौरे की इच्छा है कि वह रहे तुम्हारी पंखुडियों में <br />शव होने तक.<br />बहुत अच्छा लगा पढ़ कर ...बधाईरचना प्रवेशhttps://www.blogger.com/profile/04303836897391156919noreply@blogger.com