tag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post1439654172782405991..comments2023-10-01T07:46:51.599-07:00Comments on पथ के साथी : प्रदीप सैनी ::अपर्णा मनोजhttp://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-37699021718415511022011-11-01T01:46:27.125-07:002011-11-01T01:46:27.125-07:00भाई प्रदीप सैनी की कविताओं को पढ़ना उस नदी को ध्य...भाई प्रदीप सैनी की कविताओं को पढ़ना उस नदी को ध्यान से देखना है जो अपने बहने में बहुत कुछ सुनाती है। इन प्रेम विषयक कविताओं में प्रेम की अभिव्यक्ति और उसकी परिभाषाएं एकदम ताजा और जमीन से जुड़ी हैं। ग़ज़ब भाई। रुमानियत में होश-ओ-हवास इस कद्र केंद्रित है कि आप लंबे समय तक कविता से बाहर नहीं आ सकते। ये कविताएं जंगली फूल की तरह कथित आधुनिकता की खाद से दूर हैं, इसीलिए आकर्षित भी करती हैं। सच कहूं...प्रदीप मैं फैन हूं यार तुम्हारा।Navneet Sharmahttps://www.blogger.com/profile/17503086917617110754noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-37739060388716438002011-10-30T00:56:25.458-07:002011-10-30T00:56:25.458-07:00सुंदर प्रेम कविताएं!सुंदर प्रेम कविताएं!सुन्दर सृजक https://www.blogger.com/profile/03250365209576301112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-64900373027772277532011-10-27T09:34:34.751-07:002011-10-27T09:34:34.751-07:00Badmaashiyon ko
Naye-naye andaaz se
Chhipaane
Ugh...Badmaashiyon ko <br />Naye-naye andaaz se<br />Chhipaane<br />Ughaadne<br />Aur<br />Apne hi hathon <br />Pachhadne waali<br />Matwaali kavitaayen...Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-71431458524992564592011-10-25T22:21:08.874-07:002011-10-25T22:21:08.874-07:00tumhari kavitaon mein aur gulzar saab ke geeton me...tumhari kavitaon mein aur gulzar saab ke geeton mein ye smanta hai ki har bar padne ke baad...sunne ke baad ek baar fir padne ki lalak bani rehti hai aur har baar ..rehman saab ki dhuno ki tarah...kuch na kuch naya mil jaata hai..dheerajhttps://www.blogger.com/profile/01362341010590623505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-68149457811826026062011-10-23T01:09:03.079-07:002011-10-23T01:09:03.079-07:00सचमुच बड़ी अच्छी कविताएँ हैं। ये कविताएँ पढ़कर मन ...सचमुच बड़ी अच्छी कविताएँ हैं। ये कविताएँ पढ़कर मन आश्वस्त हुआ है। मेरी शुभकामनाएँ।सुमन केशरीnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-29617999786788658722011-10-22T12:06:58.051-07:002011-10-22T12:06:58.051-07:00सचमुच बड़ी अच्छी कविताएँ हैं। प्रेम कविताएँ हिन्दी ...सचमुच बड़ी अच्छी कविताएँ हैं। प्रेम कविताएँ हिन्दी में आजकल सिर्फ़ कवयित्रियाँ ही लिख रही हैं। युवा कवियों को पता नहीं क्यों कविता में प्रेम को अभिव्यक्त करना उचित नहीं लगता। लेकिन प्रदीप की ये कविताएँ पढ़कर मन आश्वस्त हुआ है। प्रदीप जी को मेरी शुभकामनाएँ।अनिल जनविजयhttps://www.blogger.com/profile/02273530034339823747noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-42260155589845072012011-10-22T09:42:23.791-07:002011-10-22T09:42:23.791-07:00शब्द कहते हैं जितना
छिपाते हैं उससे अधिक
वे छल के ...शब्द कहते हैं जितना<br />छिपाते हैं उससे अधिक<br />वे छल के सबसे धारदार हथियार हैं<br />.....कमाल की कविताएं.....ऐसी बात मेरे साथ ही नही....काफ़ि मित्रों के साथ होगी..कि....लम्बे अरसे बाद पढ़ी हैं...ऐसी पंक्तियां...! आभार.राजेश चड्ढ़ाhttps://www.blogger.com/profile/13615403040017262901noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-73677051920863608112011-10-22T08:23:17.788-07:002011-10-22T08:23:17.788-07:00बहुत ही सुंदर रचनायेंबहुत ही सुंदर रचनायेंNityanand Gayenhttps://www.blogger.com/profile/14656349243336915008noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-23071173268656471402011-10-22T07:57:52.611-07:002011-10-22T07:57:52.611-07:00प्रेम पर लिखी बहुत अच्छी कविताएं। सचमुच इस कवि ने ...प्रेम पर लिखी बहुत अच्छी कविताएं। सचमुच इस कवि ने बहुत प्रभावित किया। आभार...प्रदीप भाई आपको बहुत-बहुत बधाई.....विमलेश त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/02192761013635862552noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-7128109755125345412011-10-22T05:55:45.456-07:002011-10-22T05:55:45.456-07:00आप सब ने इन कवितायों को पढ़ा और सराहा .......... शु...आप सब ने इन कवितायों को पढ़ा और सराहा .......... शुक्रिया...........सच कहूँ तो अपनी कवितायों को आपका स्नेह मिलने पर बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूँ |pradeep sainihttps://www.blogger.com/profile/01713398453259407318noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-76790766847352115032011-10-22T03:43:42.760-07:002011-10-22T03:43:42.760-07:00'प्यार' पर इतनी सारी कविताएं, एक साथ. एक ध...'प्यार' पर इतनी सारी कविताएं, एक साथ. एक धागे से जुड़ीं, पर कथ्य का स्वर बदलते ही, मुहावरे में भिन्नता लिए हुए. प्यार यहां व्यक्त हो भी रहा है कितने नए-नए अंदाज़ों में ! महेश ने बहुत कुछ कह दिया है इन कविताओं के बारे में, जिससे अलग हट कर कुछ कह पाना सरल भी नहीं रह गया है. यह सच है कि इस प्यार की व्याप्ति इतनी अधिक है कि ज़बान पर चढ़ा इसका अंग्रेज़ी पर्याय बहुत छोटा लगता है. मुझे ध्यान नहीं पड़ता कि इससे पहले प्रदीप सैनी की कोई कविता पढ़ी हो मैंने. अच्छा लगा है इन बहु-तलीय प्रेम कविताओं से गुज़रना. संभावनाओं के बारे में आश्वस्तिपूर्वक तब कुछ कहा जा सकता है, जब अन्य भाव-भूमियों पर उनकी कविताएं सामने आएं. सिर्फ़ प्रेम के सहारे जीवन और जगत के बारे में उनकी दृष्टि का अंदाज़ लगा पाना मेरे जैसे व्यक्ति के लिए आसान नहीं हैं. बधाई के हक़दार प्रदीप सैनी फिर भी हैं ही.मोहन श्रोत्रियhttps://www.blogger.com/profile/00203345198198263567noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-32059254586532670142011-10-22T01:14:23.755-07:002011-10-22T01:14:23.755-07:00पहली बार प्रदीप भाई की इतनी कविताएं एक साथ पढ़ने क...पहली बार प्रदीप भाई की इतनी कविताएं एक साथ पढ़ने का अवसर मिला । अच्छा लगा । प्रदीप सैनी की ये प्रेम कविताएं पहाड़ी झरने की सी रवानगी लिए हुई हैं जिसकी उछलती बूँदों में बस भीगते जाने का मन करता है। इन कविताओं में प्रेम की गहरी अनुभूति भी है और एंद्रिकता भी। इनमें प्रेम ‘प्रेम ’ की तरह आता है ‘लव’ की तरह नहीं। एक ऐसी प्यास की तरह जो कभी बुझती नहीं बल्कि जितना पीओ उतनी ही बढ़ती जाती है। भौतिक दूरियाँ भी उसको कम नहीं कर पाती हैं। यहाँ प्रेम की स्मृतियाँ षरीरी और अषरीरी दोनों ही रूपों में मौजूद हैं। प्रेम में स्मृतियों का वजन सबसे अधिक होता है। बहुत मधुर होती हैं ये स्मृतियाँ। पूरी जिंदगी जीने के लिए काफी । यादों का यह रेवड़ निष्चित रूप से ‘नवजात मेमने‘ की तरह मुलायम और प्यारा होता है।उसे बस गोद में पकड़े रहने का मन करता है। प्रेम में सारी आवाजें गौण हो जाती हैं एक आवाज के सामने। वह आवाज ऐसी कि जिसे केवल कानों से ही नहीं बल्कि सभी ज्ञानेन्द्रियों से सुना जाता है। प्रत्येक ज्ञानेन्द्रीय एक-दूसरे का काम करने लग जाती हैं। मन और देह का अंतर मिट जाता है। ये कविताएं इन मनोभावों का सिद्दत से अहसास कराती हैं। कवि का मानना सही है कि सच्चा प्रेम कवितातीत होता है। प्रेम के कवितातीत होने का प्रमाण ही है कि कविता के आदि से अब तक प्रेम पर हजारों -हजार काव्य ग्रंथ लिखे जा चुके हैं फिर भी प्रेम-कविता की मौलिकता बनी हुई है। अभी भी लगता है कि उसमें बहुत कुछ अनकहा ही रह गया है। कवि जब यह कहता है कि षब्द जितना कहते हैं उससे ज्यादा छिपाते हैं तब वह प्रेम की इसी विषिष्टता की ओर संकेत करता है। चूमने में षामिल सिर्फ देह ही नहीं होती कहकर कवि यह कह देता है कि प्रेम में तो पूरा षरीर और मन ही बोलता है जिसको षब्दों में समेट पाना मुष्किल है। वास्तव में कविता में प्रेम पूरा-पूरा उसी रूप में नहीं आ सकता है जैसा जीवन में होता है। क्या खूब कहा है प्रदीप ने -विस्थापित षिविर ही तो होती है -हर प्रेम कविता। विस्थापित षिविर में कोई भी व्यक्ति उस जीवन को नहीं पा सकता है जैसा अपने जल-जंगल-जमीन के बीच रहते हुए उसने जीया। इन कविताओं में आए बिंब प्रेम की तरह ताजगी लिए हुए तथा सुगठित हैं। भाव पूरी काव्यात्मकता लिए हुए हैं। ये कविताएं उस कली की तरह हैं जो अभी न तो पूरी खुली हैं और न ही बंद।ये सारी बातें प्रदीप भाई में एक समर्थ कवि की संभावना के प्रति आष्वस्त करती हैं। इन कविताओं के लिए प्रदीप भाई बधाई और अर्पणा जी साधुवाद की पात्र हैं।Mahesh Chandra Punethahttps://www.blogger.com/profile/09695768908018459567noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-76565095580619756682011-10-21T21:36:17.267-07:002011-10-21T21:36:17.267-07:00यह आबिदा परवीन गा रही है
जो ऐसी बारिश का नाम है
...यह आबिदा परवीन गा रही है <br />जो ऐसी बारिश का नाम है <br />जिसमें रूह को तन पर पहन भींज जाते हैं हम <br />कुछ ही देर में ये आवाज़ दूर होती जाती है <br />यह ख़ालिस हुनर की ख़ामी कह लें <br />वह बाँध नहीं सकता बहुत देर <br />और आपको भीतर की ओर धकेल देता है............प्रेम के इत्र में डूबी रचनाएँ बहुत अच्छी लगीं !Sonroopa Vishalhttps://www.blogger.com/profile/13054319903540240654noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-66018777838925082282011-10-21T20:56:07.764-07:002011-10-21T20:56:07.764-07:00हर प्रेम कविता
विस्थापित शिविर ही तो होती है.
सुन...हर प्रेम कविता<br />विस्थापित शिविर ही तो होती है.<br /><br />सुन्दर कवितायेँ ! प्रेम की वायवीयता से परे यथार्थ की ओर झुकाव लिए हुए ! सराहनीय प्रस्तुति ! अपर्णा जी, अरुणदेव जी का आभार !अरुण अवधhttps://www.blogger.com/profile/15693359284485982502noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-78885779548300818622011-10-21T17:54:24.820-07:002011-10-21T17:54:24.820-07:00बहुत बहुत सुन्दर रचनाएँ...आप बधाई स्वीकारें !!बहुत बहुत सुन्दर रचनाएँ...आप बधाई स्वीकारें !!Nidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-44198321937670890712011-10-21T11:20:57.005-07:002011-10-21T11:20:57.005-07:00यह मेमना मेरा जाना पहचाना सा है.......बहुत सुन्दर ...यह मेमना मेरा जाना पहचाना सा है.......बहुत सुन्दर कविताएं ! प्रदीप सैनी को इस ब्लॉग पर बहुत पहले आ जाना चाहिए था.अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-85561900958846039012011-10-21T07:21:46.154-07:002011-10-21T07:21:46.154-07:00प्यार से लबरेज ये कवितायेँ मुझे बहुत सुन्दर लगी.. ...प्यार से लबरेज ये कवितायेँ मुझे बहुत सुन्दर लगी.. कई बिम्ब और परिवेश बहुत आधुनिक हैं जो की आज की कविता की ज़रूरत भी है..<br />जैसे की ईयर फोन पर एक गीत सुनना.. बहुत सुंदरता से स्मृति को बीन कर उठा लिया है प्रेम सहित ... <br />पीछे छूट गया मेमना है तुम्हारी याद<br /><br />मैं उसे गोद में उठाये आगे बढ़ रहा हूँ .लीना मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07272007913721801817noreply@blogger.com