tag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post2545924742271833880..comments2023-10-01T07:46:51.599-07:00Comments on पथ के साथी : परमेश्वर फुंकवालअपर्णा मनोजhttp://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-87855101409188170632014-02-06T17:45:36.581-08:002014-02-06T17:45:36.581-08:00परमेश्वर जी, आपकी रचनायों को बहुत बार पढ़ा | कभी मन...परमेश्वर जी, आपकी रचनायों को बहुत बार पढ़ा | कभी मन आर्द्र हो गया और कभी गिट्टी उठाती मजदूरन के साथ मुस्कुरा उठा | अपने अतीत को बहुत ही संवेदनशीलता से अपने पाठकों तक पहुंचाया है आपने | एक पंक्ति पढ़ कर तो मन ठहर गया" वही शब्द जिनको पाने के बाद कुछ और पाना शेष नहीं रह जाता "| बस इसे पढ़ कर और कुछ लिखा भी नहीं जाता | आप ऐसे ही लिखते रहें , बस इन्ही मंगल कामनायों के साथ |Shashi Padhanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-16452712052616954822014-02-04T08:46:09.212-08:002014-02-04T08:46:09.212-08:00आपकी कविताओं में एक सहज प्रवाह है जो अंतर्मन को छू...आपकी कविताओं में एक सहज प्रवाह है जो अंतर्मन को छू लेती है IDinesh Kumar Singhhttps://www.blogger.com/profile/16161848333021740574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-85138157637059878482014-02-04T08:20:42.709-08:002014-02-04T08:20:42.709-08:00इतने स्नेह का पर्याय धन्यवाद नहीं हो सकता. आ नन्द ...इतने स्नेह का पर्याय धन्यवाद नहीं हो सकता. आ नन्द जी, अरुण जी, सुशील जी, अनुलता जी, संजय जी, शशिकांत जी, शशि पुरवार जी, कल्पना रमानी जी, रामशंकर जी और अश्विनी जी आपके स्नेह के लिए मेरी कृतज्ञता स्वीकारें. <br />अपर्णा जी आपके लिए विशेष कृतज्ञता, फूलों में आना बहुत अच्छा लगा. <br />सादर.परमेश्वर फुंकवालhttps://www.blogger.com/profile/18058899414187559582noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-7378540508645822014-02-03T03:39:07.382-08:002014-02-03T03:39:07.382-08:00सिझाती उमस में तगारी उठाती स्त्री को ऊर्जस्वित बना...सिझाती उमस में तगारी उठाती स्त्री को ऊर्जस्वित बनाए हुए है झाबुआ-की बस्ती में मिला प्रेम; मशीनों के शोरगुल के बीच " गुनगुना लेती है / सबसे छुप कर / एक ऐसा मीठा गीत " जिसकी मिठास के सामने फीके लगने लगते हैं सब दृश्य, मधुर लगने लगती है थकान भी ! सपने देखती इन स्त्रियों को परिस्थितियाँ नहीं देतीं उन्हें जीने-भोगने का अवसर; तत्वज्ञानी नहीं हैं ये कामकाजी औरतें फिर भी अपने जीवन में सहेजे हुए हैं प्रेम और उत्फुल्लता के रँग ! कवि को सहज आकर्षण में बाँध लेती हैं वे एक दूसरे की आँखों में आँखें डाल मुस्कुराते हुए ! कर्म ही जिनका जीवन है, प्रेम ही जिनका दर्शन : गारा-गिट्टी-पत्थर ढोती इन नारियों के लोक और अंतर्लोक की गरिमामय झाँकी प्रस्तुत की है कवि ने ! बचपन और लड़कपन की स्मृतियों का सुन्दर तान-बाना बुना है " पता-१ " कविता में! अपनी जन्मभूमि को बहुत शिद्दत से याद किया है रचनाकार ने और प्रत्येक अनुभव को इस तरह साझा किया है कि पाठक स्वयं भी शब्दों के भीतर बसा एक चरित्र बन जाता है ! "पता-२" रचना के विषय में तो जितना कहा जाए कम है ! इतनी सान्द्र अनुभूति और भावनाओं को अकुला देने की सामर्थ्य इनी-गिनी क्लासिक कविताओं में ही होती है ! भौतिक जगत में न होते हुए भी, कवि के ह्रदय में धड़कते हुए पल-पल, उसे असीसते और " अच्छा बनो" की सीख देती माँ की दुआ को महसूस करना शब्दातीत अनुभव है पाठक के लिए : " वही शब्द जिनको पाने के बाद कुछ और पाना शेष नहीं रह जाता / वही स्पर्श जो आत्मा को कोमलता में भिगोता रहे / किसी अनाम डाक के डिब्बे या फिर / पोस्ट ऑफिस में / भुला गयी / वह चिट्ठी मुझ तक नहीं पहुँची / फिर भी / उसमें लिखी दुआ मेरे पते पर कब से आ चुकी "...मर्मस्पर्शी काव्य है शब्द-शब्द ! ...समय की परख करती कविता "विकल्प" की वैचारिक परिपक्वता यथेष्ट प्रभाव छोड़ती है: " सूक्ष्म से सूक्ष्म / आदर्शों को तलाशने का वक़्त है यह..." विसंगत वर्तमान पर बेहद संवेदनशील टिप्पणी हैं रचनाकार के ये शब्द ! उत्कृष्ट सृजन ! ashwini kumar vishnuhttps://www.blogger.com/profile/09230520703715185203noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-20098510751512172182014-02-02T08:33:08.583-08:002014-02-02T08:33:08.583-08:00सभी रचनाये बहुत सुन्दर है आपकी रचनाओ में कई भाव दि...सभी रचनाये बहुत सुन्दर है आपकी रचनाओ में कई भाव दिल की गहरायिओं को छू गए , मार्मिक है रचनाये, संवेदनाओ के धरालत को छूती हुई, जैसे बहुत बारीकी से आपने इन संवेदनाओ को उकेरा है जैसे प्रत्यक्ष चित्रित हुआ है वर्णन , आ.गीते जी ने हमारी भावनाओ को भी व्यक्त कर दिया , इसीलिए अब और कुछ नहीं कहना। सिर्फ हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँshashi purwarhttps://www.blogger.com/profile/04871068133387030845noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-38431955006331687382014-02-02T07:33:50.451-08:002014-02-02T07:33:50.451-08:00मुझे याद नहीं कि इतनी संवेदनशील कवितायेँ मैंने पहल...मुझे याद नहीं कि इतनी संवेदनशील कवितायेँ मैंने पहले कभी पढ़ी हों. मार्मिक संवेदना के उच्च मानदंडों को स्पर्श करती और कराती हुई। आपकी लखनऊ तैनाती कि अवधि में आदरणीय पूर्णिमा वर्मन जी के यहाँ एक काव्य गोष्ठी का आपका विडियो अब भी मेरे पास है. बहुत अच्छा लगा, आपके ब्लॉग पर अब आपकी कवितायेँ सुलभ रहेंगी। मुझे याद है एक बार 'अनुभूति' में रक्षाबंधन पर आपकी एक हृदयस्पर्शी कविता छपी थी, जिसे मैंने घर में पढ़ कर सुनाया था. लोग कहते है बहुत सी भावनाएं शब्दातीत होती हैं, उन्हें शब्दों में नहीं बाँधा जा सकता। पर जहाँ तक मेरी समझ है, मैं गर्व से कह सकता हूँ कि आप संवेदना के कुशल चितेरे हैं. <br /><br />उम्र के उस पार <br />ले जाने को <br />फिर दरवाजे पर.……… <br /><br />इस कविता का उत्स ही तो अभीष्ट होना चाहिए हर रचनाकार का.<br />"गिट्टी उठाती औरतें" की तीनों कवितायेँ: ख़ुशी मिठास और सपने और 'पता' शीर्षक की दोनों कवितायेँ इस बात को प्रमाणित करने को काफी हैं कविता अभी जिन्दा है और रहेगी। ये कवितायेँ एक आश्वस्ति है कि ऊंचे ओहदों पर रहते हुए भी भौतिकता हमें अपनी जड़ों से काट नहीं पाई है. लिखने को बहुत कुछ लिखा जा सकता है इन कविताओं पर. पर इतना ही कहूंगा कि कवि और कवितायें दोनों यशस्वी, कालजयी हों.geetfaroshhttps://www.blogger.com/profile/03390968961231475107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-3148588670712516442014-02-02T03:54:19.642-08:002014-02-02T03:54:19.642-08:00आपकी रचनाएँ इतनी मार्मिक होती हैं कि पढ़ते-पढ़ते ही ...आपकी रचनाएँ इतनी मार्मिक होती हैं कि पढ़ते-पढ़ते ही मन आर्द्र हो जाता है। प्रशंसा को शब्द ही नहीं मिलते। जीवन की सैकड़ों गुत्थियों को खोलती हुई गूढ अभिव्यक्ति के लिए आपकी कलम को शत बार नमन। कल्पना रामानीhttps://www.blogger.com/profile/17587173871439989311noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-36512850708742969602014-02-02T02:21:09.896-08:002014-02-02T02:21:09.896-08:00सभी रचनाये बहुत सुन्दर है आपकी रचनाओ में कई भाव दि...सभी रचनाये बहुत सुन्दर है आपकी रचनाओ में कई भाव दिल की गहरायिओं को छू गए , मार्मिक है रचनाये, संवेदनाओ के धरालत को छूती हुई, जैसे बहुत बारीकी से आपने इन संवेदनाओ को उकेरा है जैसे प्रत्यक्ष चित्रित हुआ है वर्णन , गीते ने हमारी भावनाओ को भी व्यक्त कर दिया , इसीलिए अब और कुछ नहीं कहना। सिर्फ हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ shashi purwarhttps://www.blogger.com/profile/04871068133387030845noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-34455328113296698932014-02-02T00:30:19.564-08:002014-02-02T00:30:19.564-08:00बहुत अच्छी कविताएँ हैं. पता- 2 ने तो आर्द्र कर दिय...बहुत अच्छी कविताएँ हैं. पता- 2 ने तो आर्द्र कर दिया. यह कविता मैने अपने परिवार के सदस्यो को भी सुनाई. सुनाते हुए गला भर आया और शब्द जैसे फँस गए. किसी तरह पूरी की और फिर काफी समय तक कोई कुछ नहीं बोला. यानी आपके शब्द संवेदना के जिस स्तर और ह्रदय की जितनी गहराई से आते हैं, पाठक या श्रोता को उसी स्तर और गहराई से छूते हैं. हार्दिक बधाई.Shashikant gitehttps://www.blogger.com/profile/13454371979082909887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-84534073811520636782014-02-01T21:28:13.341-08:002014-02-01T21:28:13.341-08:00दिल को छू लेने वाली रचनाएँ. पता कविता मेरे अपने भो...दिल को छू लेने वाली रचनाएँ. पता कविता मेरे अपने भोगे हुए यथार्थ को व्यक्त करती लगी. कवि ने सार्वजनिक एवं सार्वभौमिक भावनाओं को शब्द दिए हैं. साधुवाद.<br />Sanjay Srivastavahttps://www.blogger.com/profile/12178069405979485331noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-58765332957249142462014-02-01T20:06:34.793-08:002014-02-01T20:06:34.793-08:00बहुत सुन्दर कविताएँ.....
निराला जी की "वो तोड...बहुत सुन्दर कविताएँ.....<br />निराला जी की "वो तोडती पत्थर" याद आयी...<br />शुभकामनाएं कवि को!<br />अनुलताANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-31974279135316965272014-02-01T04:40:10.141-08:002014-02-01T04:40:10.141-08:00परमेश्वर जी अच्छी कविताएँ लिख रहे हैं. देर आयद दुर...परमेश्वर जी अच्छी कविताएँ लिख रहे हैं. देर आयद दुरुस्त आयद ..arun dev https://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-65675846051470359472014-02-01T02:15:04.391-08:002014-02-01T02:15:04.391-08:00कवि परमेश्वर फुंकवाल की इन कविताओं में घर-परिवार ...कवि परमेश्वर फुंकवाल की इन कविताओं में घर-परिवार की जीवन-स्मृतियों और मानवीय संबंधों का विलक्षण रचना-संसार गहरी हार्दिकता के साथ अभिव्यक्त हआ है। कवि का लहजा इतना आत्मीय और अपनेपन से लबरेज है कि इन कविताओं का असर इनसे बाहर निकल आने के बाद भी देर तक इनकी अनुगूंज चित्त में बनी रहती है। परमेश्वर को बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं। नंद भारद्वाजhttps://www.blogger.com/profile/10783315116275455775noreply@blogger.com