tag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post2703921245495756296..comments2023-10-01T07:46:51.599-07:00Comments on पथ के साथी : रंजना जायसवाल ::अपर्णा मनोजhttp://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-21486610441343692082011-07-13T04:20:18.035-07:002011-07-13T04:20:18.035-07:00दोनों ने नहीं जाना वह
जो जानना कभी खतरनाक नहीं होत...दोनों ने नहीं जाना वह<br />जो जानना कभी खतरनाक नहीं होता <br /><br />bahut sundar !अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-38312165801012978602011-07-10T19:01:43.691-07:002011-07-10T19:01:43.691-07:00एक आकाश था
एक नदी थी
मिलना मुश्किल था
हालाँकि
...एक आकाश था <br />एक नदी थी <br />मिलना मुश्किल था <br />हालाँकि <br />पूरा का पूरा आकाश नदी में था <br /><br />आभार इतनी बढ़िया कविताएं पढवाने के लियेVandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-26413727904637981942011-07-07T12:56:13.775-07:002011-07-07T12:56:13.775-07:00रंजना जी की प्रेम-कविताओं में प्रेम की व्यंजना में...रंजना जी की प्रेम-कविताओं में प्रेम की व्यंजना में जितनी सघनता है, उतना ही खुलापन भी. यहाँ प्रेम की रंजना की गयी है, अतिरंजना नहीं. पहले कभी लिख चुका हूँ की रंजना जी को पढ़ना, बहुत कुछ देखने जैसा है, आज फिर उसी बात को दुहराता हूँ.<br /><br />रंजना जी को बधाई और अपर्णा जी को भी.Sayeed Ayubhttp://gmail.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-86816683447701248962011-07-07T12:54:54.894-07:002011-07-07T12:54:54.894-07:00रंजना जी की प्रेम-कविताओं में प्रेम की व्यंजना में...रंजना जी की प्रेम-कविताओं में प्रेम की व्यंजना में जितनी सघनता है, उतना ही खुलापन भी. यहाँ प्रेम की रंजना की गयी है, अतिरंजना नहीं. पहले कभी लिख चुका हूँ की रंजना जी को पढ़ना, बहुत कुछ देखने जैसा है, आज फिर उसी बात को दुहराता हूँ.<br /><br />रंजना जी को बधाई और अपर्णा जी को भी.Sayeed Ayubhttp://gmail.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-16253365365277764152011-07-06T06:55:24.678-07:002011-07-06T06:55:24.678-07:00तुमने बढ़ाई दूरी जितनी
करीब हुई मैं
तुम जग रहे थे...तुमने बढ़ाई दूरी जितनी<br />करीब हुई मैं <br />तुम जग रहे थे <br />इसलिए नहीं देख सके सपना <br />मैं सपने में थी <br />जग न सकी <br />दोनों ने नहीं जाना वह <br />जो जानना कभी खतरनाक नहीं होता <br />****<br />हृदय की अतल गहराइयों में डूबी संवेदित करनेवाली अनुभूतियों वाली कविताएंनवनीत पाण्डेhttps://www.blogger.com/profile/14332214678554614545noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-22774653156621028982011-07-06T05:16:01.130-07:002011-07-06T05:16:01.130-07:00चुनिन्दा मोती सी हर एक कविता ..बहुत बधाई ..इस नए प...चुनिन्दा मोती सी हर एक कविता ..बहुत बधाई ..इस नए पन्ने के लिए .. रंजना जी की कविताओं से सजा ..डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-2999947026582401292011-07-06T03:33:30.645-07:002011-07-06T03:33:30.645-07:00कैसे इतना
उलट -पलट जाता है सब कुछ
प्रेम में
प्रेम ...कैसे इतना<br />उलट -पलट जाता है सब कुछ<br />प्रेम में<br />प्रेम करके जाना<br />कि प्रेम एक क्रांति है<br />एक आश्चर्य<br />विलीन हो जाता है अहंकार<br />एक पवित्र औदात्य में<br />शब्द अपने अर्थों का केंचुल उतर<br />धारण कर लेते हैं नये<br />अनछुए अर्थ<br />खुद हम हो उठते हैं इतने नए कि<br />मुश्किल हो जाये पहचान<br />अपनी ही<br />कैसे तमाम बड़ी -बड़ी बातें भी<br />बेमानी लगने लगती हैं<br />रूमानी बातों के आगे<br />यह जान सकता है<br />कोई<br />प्रेम करके ही<br /><br />बेह्तरीन प्रस्तुतिकरण्।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-13890411842037604352011-07-05T23:00:25.124-07:002011-07-05T23:00:25.124-07:00रंजना जी हिंदी की महत्वपूर्ण कवयित्री हैं. अपनी ना...रंजना जी हिंदी की महत्वपूर्ण कवयित्री हैं. अपनी नारीवादी रुझान के लिए पर्याप्त ख्यात हैं. इधर इनकी कविताओं में प्रेम और प्रकृति की वापसी हुई है.<br />ये कविताएँ ओंस की बूंदों की तरह तरल और भारहीन हैं.<br />इस सुंदर पोस्ट के लिए अपर्णा को बधाई.<br />रंजना जी की कुछ कविताएँ यहाँ भी देखी जा सकती हैं.<br /> http://samalochan.blogspot.com/2011/06/blog-post_23.htmlarun dev https://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-69851051502043618652011-07-05T22:08:43.533-07:002011-07-05T22:08:43.533-07:00घड़ा
कच्चा था
उतरी थी
जिसके सहारे
दरिया में
डूबना
ह...घड़ा<br />कच्चा था<br />उतरी थी<br />जिसके सहारे<br />दरिया में<br />डूबना<br />ही<br />था ............. बहुत संकेतात्मक पंक्ति . सभी कविताएं गहरे सूर में डूबी हुई .... रंजना जी बधाईNaresh Chandrkarhttps://www.blogger.com/profile/04402943856397087631noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-5354467047634351522011-07-05T19:45:45.193-07:002011-07-05T19:45:45.193-07:00एक आकाश था
एक नदी थी
मिलना मुश्किल था
हालाँकि
...एक आकाश था <br />एक नदी थी <br />मिलना मुश्किल था <br />हालाँकि <br />पूरा का पूरा आकाश नदी में था ...<br />pranvan rachna. ..लीना मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07272007913721801817noreply@blogger.com