tag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post3110641412542394126..comments2023-10-01T07:46:51.599-07:00Comments on पथ के साथी : बाबुषाअपर्णा मनोजhttp://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-3480870443286100492015-08-21T08:52:17.462-07:002015-08-21T08:52:17.462-07:00लाजवाब। बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति है, बधाई. लाजवाब। बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति है, बधाई. Ideal thinkerhttps://www.blogger.com/profile/00224068323191925695noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-51203054260369480122015-03-05T02:04:07.510-08:002015-03-05T02:04:07.510-08:00बहुत ही सुंदर और सार्थक प्रस्तुति है.
मेरे ब्लॉग प...बहुत ही सुंदर और सार्थक प्रस्तुति है.<br />मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है.<br />http://iwillrocknow.blogspot.in/Nitish Tiwaryhttps://www.blogger.com/profile/06484230743667707116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-52137728854742739652015-02-22T22:25:02.328-08:002015-02-22T22:25:02.328-08:00ऐसी कविताओं और उनके लिए मिले पुरस्कार की रिपोर्ट प...ऐसी कविताओं और उनके लिए मिले पुरस्कार की रिपोर्ट पर जब ‘कवियत्री’ लिखा देखते हैं तो बहुत अफसोस होता है। ये हैं हमारे साहित्य और संस्कृति के रिपोर्टर। मजे की बात कि पोस्ट खोलते ही सबसे पहला शब्द वही दिखा और मन खिन्न हो गया। इसलिए बोल डाला वरना बाबुशा की कविताएं वैसे भी अलग-अलग मंचों पर पढ़कर नि:शब्द हो चुपचाप निकल लेते हैं हम :)दीपिका रानीhttps://www.blogger.com/profile/12986060603619371005noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-24718392890418829512015-02-15T06:50:34.551-08:002015-02-15T06:50:34.551-08:00बाबु के ये गद्य गीत दिल की गहराई से लिखे गए हैं. आ...बाबु के ये गद्य गीत दिल की गहराई से लिखे गए हैं. आवारगी, दर्द के लम्हे, माइग्रेन की अंतहीन रात, रुदन का संगीत, इच्छाओं का सूरजमुखी, प्रकृति से अपनापन और भगवान से कहा- सुनी- बाबुषा ने यहाँ अनेक रंग बिखेरे हैं.sarita sharmahttps://www.blogger.com/profile/03668592277450161035noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-82258845783735514432015-02-14T22:43:37.714-08:002015-02-14T22:43:37.714-08:00इन कविताओं को पढना ऐसा है जैसे मन की स्लेट पर अनेक...इन कविताओं को पढना ऐसा है जैसे मन की स्लेट पर अनेक विचार लिखे और मिटाए जा रहें हों..जिनका कोई निश्चित क्रम नहीं.जिन पर आपका कोई बस नहीं पर जो सच्चे है. इनका बहाव आपको बहा ले जाता है उस निर्जन में जहाँ आप केवल अपने स्वयं के साथ होते हैं. कितने सारे रंग पर बेचैनी का रंग सबसे हावी. इनको पढने के बाद निश्चय ही आपमें कुछ बदल जाता है.परमेश्वर फुंकवालhttps://www.blogger.com/profile/18058899414187559582noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-58107568795906742272015-02-14T17:29:35.255-08:002015-02-14T17:29:35.255-08:00बबुषा को पढना अनुभव है और अपर्णा के साथ पढना तो सघ...बबुषा को पढना अनुभव है और अपर्णा के साथ पढना तो सघन अनुभव. ज़ोरदार जोड़ी.arun dev https://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.com