tag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post9166687220958432093..comments2023-10-01T07:46:51.599-07:00Comments on पथ के साथी : शिरीष कुमार मौर्यअपर्णा मनोजhttp://www.blogger.com/profile/03965010372891024462noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-55267327058820407672014-01-20T08:11:07.033-08:002014-01-20T08:11:07.033-08:00प्रेम की बेल कद्दू की बेल नहीं हो सकती। वह इस कवित...प्रेम की बेल कद्दू की बेल नहीं हो सकती। वह इस कविता की तरह अमरबेल होती है...Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-47478440841361179252014-01-19T06:42:42.309-08:002014-01-19T06:42:42.309-08:00मैं यह ब्लॉग उन कविताओं के लिए खोलता हूँ जो *दूसरी...मैं यह ब्लॉग उन कविताओं के लिए खोलता हूँ जो *दूसरी* कविता जैसी होती हैं । मज़ा आया । प्यारी सच्ची असली कविता । अविस्मरणीय बिम्ब । उदात्त भाव । बहुत दिन बाद आँख नम हुई । अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-46903197714773732152014-01-18T19:38:59.331-08:002014-01-18T19:38:59.331-08:00फ्रेश कविताएँ .. खूब बारिश के बाद खिली हुई हल्की...फ्रेश कविताएँ .. खूब बारिश के बाद खिली हुई हल्की धूप जैसी कविताएँ ..बधाई आप दोनों को.arun dev https://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-48257697495148123812014-01-18T07:22:44.925-08:002014-01-18T07:22:44.925-08:00शिरीष जी की कविताओं का फलक बहुत बड़ा है ... उनमे से...शिरीष जी की कविताओं का फलक बहुत बड़ा है ... उनमे से ये तीन कवितायेँ ... जो कि कविता की यात्रा में एक पीड़ी पहले का प्रेम की पटकथा कहती हुई पुराने गीत के साथ पिता से जुडी स्मृतियों को संजोती हुई तो वही दुसरी में किशोर होते बच्चों में प्रेम की भावना को प्रदर्शित करती छोटी छोटी चीजें जैसे समोसों का चटपटा स्वाद, रेलगाडी की चमक और फिर कवि मन का उन यादो में वापस जाना ..... तीसरी कविता की आखिरी दो पंक्तियों ने यकायक रहस्य को तोड़ कर एक अलग जगह पाठक को खडा कर दिया ... अच्छी कवितायें ... अपर्णा धन्यवाद इन तक हमें पहुंचाने के लिए .. डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-62084507157570123752014-01-18T06:01:09.381-08:002014-01-18T06:01:09.381-08:00वास्तविकता के धरातल को शिरीष जी के अन्दर बैठा कवि ...वास्तविकता के धरातल को शिरीष जी के अन्दर बैठा कवि बेहद भावुक होते हुए नहीं भूलता...प्रेम जैसे कुछ को भूलते जा रहे समय में ये कविताएँ धागे की उस रील को ढूढने निकली हैं जो इन्सान को इन्सान से बांधती है...यही कवि की कमाई है. सुन्दर कविताएँ पढवाने के लिए अपर्णा जी आपका आभार और शिरीष जी को साधुवाद...परमेश्वर फुंकवालhttps://www.blogger.com/profile/18058899414187559582noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-25104173322625558052014-01-18T03:59:57.239-08:002014-01-18T03:59:57.239-08:00achhi kavitayen ....shukriya aprna achhi kavitayen ....shukriya aprna वंदना शुक्लाhttps://www.blogger.com/profile/16964614850887573213noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4502969014555076376.post-3111163940216610722014-01-18T02:55:37.659-08:002014-01-18T02:55:37.659-08:00वाह ! वाह ! सुशील कुमार जोशीhttps://www.blogger.com/profile/09743123028689531714noreply@blogger.com