तुमसे बात करते - करते
1.
तुमसे बात करते -करते
उतना नहीं जाना मैंने तुमको
तुमसे बात करते -करते
देखा दूर से मैंने यह शहर
उतना नहीं जान पाया शहर को भी
तुमसे बात करते -करते
देखा कई बार इंद्रधनुष
पकड़ नहीं पाया कोई भी रंग
किसी चित्र में उस तरह
नहीं भर पाया रंग
तुमसे बात करते-करते
मिला कुछ दोस्तों से
तुमसे बात करते-करते
कितना कुछ किया मैनें
और कर नहीं पाया कुछ भी..... .....
2.
तुमसे बात करते-करते
लग गयी आँख
तुमसे बात करते-करते
खुल भी गयी आँख
तुमसे बात करते-करते
सुलगा ली सिगरेट
तुमसे बात करते-करते
जल गया हाथ.......
3.
तुमसे बात करते-करते
देखी एक चिड़िया
एक पतंग
एक गौरेया
एक तितली
तुमसे बात करते-करते
देखी....
हवा में फैले डैनों -सी
उड़ती हुई एक स्त्री
तुमसे बात करते-करते
सुनी मैंने कई भविष्यवाणियाँ
स्त्रियों के बारे में
जो गलत सिद्ध हुई
4.
तुमसे बात करते-करते
पैर पर रेत से बना लिया घर
देखो.......
तुमसे बात करते-करते
ढह भी गया घर
5.
'इस नदी का नाम जानती हो'......?
नहीं जानती होंगी
तुम्हारे शहर में नहीं बहती
ऐसी कोई भी नदी
तुमसे बात करते -करते
रोकती है नदी
बुलाने लगता है टापू
सामने आकर रुकने लगती है कश्तियाँ
पालों पर झूलने लगते है हाथ
एक बच्ची दिखने लगती है दूर से
डूबने लगता है सूरज
तुमसे बात करते -करते
जाने किस ग्रह की करने लगता हूं
परिक्रमा.
6.
गत बरसों
यातनाएँ ठिठकी रही बाहर
कविताएं होती रही विफल
अखबार पढ़े जाते रहे समय पर
देर रात जलती रही बत्ती
‘यह किसका घर है ‘?
पूछते रहे लोग
‘तुम अकेले हो इतने बड़े घर में‘?
देता रहा उत्तर
कितनी दूर चला आया मैं
तुमसे बात करते -करते
7.
आती रही रेलगाड़ियाँ
छूटते रहे शहर
नहीं मिली रास्ते में कोई स्त्री
नहीं मिला
सूनी छत पर
पतंग उड़ाता कोई बच्चा
चींटियाँ नहीं आई
रसोईघर में
बेतरतीब बिखरी पड़ी रही चीनी
कोई आता क्यों नहीं ?
कितना अकेला हो जाता हूँ मैं
तुमसे बात करते -करते
तुमसे बात करते -करते
1.
तुमसे बात करते -करते
जलाई मैंने घर की सबसे बड़ी बत्ती
चढ़ा सीढ़ियाँ
उतरा भी
तुमसे बात करते -करते
सबसे ज्यादा चला मैं
और भूल गया रास्ता
2.
नीले रंग को
सबसे ज्यादा देखा मैंने
तुम्हारे साथ.... .....
प्रेम शब्द को सुना सबसे ज्यादा
सबसे ज्यादा सूँघा चमेली को
सबसे ज्यादा खाए गुलाबजामुन
सबसे ज्यादा छुआ तुम्हें
तुमसे बात करते -करते
सब छलते रहे मुझे
शब्द,रंग,स्पर्श खुशबू
नीले रंग को
जवाब देंहटाएंसबसे ज्यादा देखा मैंने
तुम्हारे साथ.... .....
प्रेम शब्द को सुना सबसे ज्यादा
सबसे ज्यादा सूँघा चमेली को
सबसे ज्यादा खाए गुलाबजामुन
सबसे ज्यादा छुआ तुम्हें
!!!!!!!!!!!!!!!!!
लाजवाब !!!
बधाई !!!
---- हरप्रीत के लिए--
जवाब देंहटाएं(हरप्रीत ! आपके लिए -----
तुमसे बात करते करते
चाँद उतरा आँगन में
सकुचाया हुआ
शरमाया हुआ
और चुपके से
फैल गई चाँदनी
अंधेरे के खिलाफ
खिल गये फूल
रातरानी के !!!
तुमसे बात करते -करते
जवाब देंहटाएंसब छलते रहे मुझे
शब्द,रंग,स्पर्श खुशबू
अच्छा अनुभव है...
"तुमसे बात करते -करते
जवाब देंहटाएंसबसे ज्यादा चला मैं
और भूल गया रास्ता"
हरप्रीत की इस आर्द्र लहजे वाली काव्य-श्रृंखला में एक संघर्षशील स्त्री (बल्कि इन्सान) का बनता-बिखरता अन्तर्मन बोलता हैं और सो भी उन इन्द्रधनुषी और धूसर रंगों के सहमेल से बने जीवन-अनुभवों को आकार देते हुए। यह कितनी बड़ी सच्चाई से रूबरू होना है कि हम साथ चलते चलते कितना कुछ पा जाते हैं और कितना कुछ मूल्यवान खो भी देते हैं। सादे शब्दों में ऐसी व्यंजना ही ऐसी कविताओं को स्मरणीय बनाती हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि व्यापक अर्थ में ये प्रेम कविताएं ही हैं, लेकिन कितनी अलग।
तुमसे बात करते -करते
जवाब देंहटाएंसब छलते रहे मुझे
शब्द,रंग,स्पर्श खुशबू
अद्भुद ....अनूठे अंदाज़ में हुई आपसे बाते ,जो कहा नहीं,वो सुन गए..जो सुना वो जाना नहीं
इस कविता को पढ़कर ,
जवाब देंहटाएंआज फिर उस नदी की याद आई ,
हर बार जिसमें उतर कर ,
गले-गले डूबा ,
और डर कर लौट आया !
फिर सूरज मुझे छोड़
अकेला ही चला गया ,
रात का जंगल पार करने !
तुमसे बात करते -करते
जवाब देंहटाएंदेखा कई बार इंद्रधनुष
पकड़ नहीं पाया कोई भी रंग
किसी चित्र में उस तरह
नहीं भर पाया रंग-----1
नीले रंग को
सबसे ज्यादा देखा मैंने
तुम्हारे साथ.... .....
प्रेम शब्द को सुना सबसे ज्यादा
सबसे ज्यादा सूँघा चमेली को
सबसे ज्यादा खाए गुलाबजामुन
सबसे ज्यादा छुआ तुम्हें
तुमसे बात करते -करते
सब छलते रहे मुझे
शब्द,रंग,स्पर्श खुशबू --2----सुन्दर मन की अभिव्यक्ति .....ढेर सारी शुभ कामनाएं हरप्रीत कौर जी को ....आप को भी धयवाद खुबसूरत अहसासों को शब्दों में ढला पेश करने का !!!!!!!!!!!!!
नीले रंग को
जवाब देंहटाएंसबसे ज्यादा देखा मैंने
तुम्हारे साथ.... .....
प्रेम शब्द को सुना सबसे ज्यादा
सबसे ज्यादा सूँघा चमेली को
सबसे ज्यादा खाए गुलाबजामुन
सबसे ज्यादा छुआ तुम्हें
तुमसे बात करते -करते
सब छलते रहे मुझे
शब्द,रंग,स्पर्श खुशबू
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ..
इन कविताओं का वक्ता पुरुष है, यह रोचक है, और साहित्य के मूल स्वभाव-परकाया प्रवेथ-का रेखांकन भी। बहुत कम शब्दों में बहुत मार्मिक बात कहती हैं ये कविताएं।
जवाब देंहटाएं"तुमसे बात करते करते सुनी मैने कई भविष्यवाणियां औरतो के बारे में जो गलत साबित हुईँ।"
बहुत ही अच्छे कविताएं !
जवाब देंहटाएंभाषा,शिल्प एवम प्रस्तुति बहुत प्रभावशाली !
बधाई !
बहुत ही अच्छे कविताएं !
जवाब देंहटाएंभाषा,शिल्प एवम प्रस्तुति बहुत प्रभावशाली !
बधाई !
विभिन्न भावों की सहज अभिव्यक्तिवहयाँ ! मन की कोमलता का स्पर्श ! परिवेश का जीवंत चित्रण. जीवन से जुड़े चित्र ! ---वाह !!
जवाब देंहटाएंविभिन्न भावों की सहज अभिव्यक्तियाँ ! मन की कोमलता का स्पर्श ! परिवेश का जीवंत चित्रण. जीवन से जुड़े चित्र ! ---वाह !!
जवाब देंहटाएंकवितायें अच्छी लगीं हरप्रीत…सहज लेकिन गहरे तक संप्रेषित होती हुईं…शुभकामनायें और बधाईयां…अपर्णा आपकी इस अनूठी कोशिश को सलाम! कोशिश कीजिये कि इन सभी प्रेम कविताओं का एक संकलन कहीं से आ जाये…
जवाब देंहटाएंगज़ब की प्रभावशाली अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंगज़ब की प्रभावशाली अभिव्यक्ति|धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंखूबसूरत भाव और प्रभावशाली
जवाब देंहटाएंPriya harpreet ji
जवाब देंहटाएंSatshri Aakal
aapka sahitya srijan sundar laga , man ki gahrayiyon men samati huyi abhivakti sundar ban padi hai . achha prayas . shukriya.
बहुत अच्छी कविताएं हैं हरप्रीत की, सहजता इनका प्राण है
जवाब देंहटाएंसभी क्षणिकाएं अच्छी लगीं ...
जवाब देंहटाएंसभी शब्दचित्र मन पर छाप छोडते हुए लगे!
जवाब देंहटाएंसभी कविताएं बहुत सुन्दर.....एक-एक शब्द भावपूर्ण ...
जवाब देंहटाएंतुमसे बात करते करते रोज थोडा थोडा जी लेता हूँ मै...........
जवाब देंहटाएंप्यार कितना अद्भुत है ...कितना कोमल.....कितना स्वच्छ .......मन में कितना कुछ भर देता है......अपनी खुश्बुओ संग........
शानदार कविताएं .
बहुत ख़ूबसूरत...बधाई.
जवाब देंहटाएंकितना वक्त गुजर गया....पता ही न चला...तुमसे बात करते करते...वक्त को तुम्हारा स्पर्श याद होगा जरूर...तभी तो इसमें गंध भी वही है...छल तो साथ साथ आए था परागकणों के...तुम्हारे हाथों ने उसे छुआ होगा तो चिपक गए होंगे पराग....वरना वो तो खुशबू थी बस...
जवाब देंहटाएंsunder kvitaen
जवाब देंहटाएंतुम्हारे एहसास का डोर थामे
जवाब देंहटाएंचलता रहा कदम-दर-कदम
मुझे लगा की साथ तुम हो
मुड़कर देखा तो राह में तनहा था मैं .
तुमसे बात करते-करते
जवाब देंहटाएंरोकती है नदी
बुलाने लगता है टापू
सामने आकर रुकने लगती है कश्तियाँ
पालों पर झूलने लगते है हाथ
एक बच्ची दिखने लगती है दूर से
डूबने लगता है सूरज
तुमसे बात करते-करते
-- वाह!
बहुत सुन्दर ....
जवाब देंहटाएंबात करते-करते कविता हो जाना ही तो सशक्त अभिव्यक्ति है...ऐसे में
जवाब देंहटाएंशैली-भाषा-शिल्प...इन्हें तो स्वतः ही सशक्त होना पड़ता है...सुंदर
behtareen nazm harpreet sahiba kayi baar aapse raabita qaayam karne kikoshish ki magar baat nahi ho payi kaise mizaaj hain aapke maine aapko majmua bhi pesh kiya tha aapko mila ya nahin lalit ji ko post kiya tha maine apna majmua
जवाब देंहटाएंjawab ke intizar main
zaheen
कुछ लोग जीते जी इतिहास रच जाते हैं कुछ लोग मर कर इतिहास बनाते हैं और कुछ लोग जीते जी मार दिये जाते हैं फिर इतिहास खुद उनसे बनता हैं बहुत मार्मिक रचना..बहुत सुन्दर...नवरात्रा की आप को शुभकामनायें!
जवाब देंहटाएंअच्छी कविताएं हैं हरप्रीत की। पढ़वाने के लिए आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत कविताएँ। कविता ही सच में बात कर रही है। बधाई।
जवाब देंहटाएंप्रो हरीश अरोड़ा