अमित की कविताओं ने इधर ख़ास ध्यान खींचा है. अमित का रचना संसार अनुराग की कोमलता में अपना परिवेश उपन्यस्त करता चलता है,इसलिए यहाँ राग-विराग के साथ मध्यवर्गीय सजग चेतना अपना काम करती है. इस नयी आवाज़ से निसंदेह अभी बहुत कुछ आना शेष है .
नयी राह ::
कभी हवा से भी
हल्का लगता है प्रेम
रंग बन सवार
होता है तितली पर
चुन लिया जाता
है गुलाब से शहद की तरह
बनता है बाग़
के फूलों में
और इत्र सा
महकता है साँसों में हम दोनों की...
कभी समंदर से
भी भारी होता है
तले में बैठता
चला जाता है
सूरज सा जलता
है फलक पर
धरती को भी
जलाता है
रेत सा खटकता
है आँखों में हम दोनों की...
ऐसे ही इक
भारी दिन
व्यथित हो मैं
अपना थैला उठाता हूँ
और तुमसे दूर
चला जाता हूँ
जीवन में
शान्ति खोजता मैं एक पेड़ के नीचे पहुँचता हूँ
एक सेव मेरे
सर पर गिरता है और मुझे न्यूटन याद आता है -
वक़्त के साथ
जोड़ और मजबूत ना हो
तो प्रेम शाख
से टूट जाता है!
जीवन में
संतुलन खोजता मैं समंदर किनारे पहुँचता हूँ
वहाँ आर्किमिडीज़
को बैठा पाता हूँ
वह मुझे अपनी
खोज सुनाता है -
जब प्रेम के ऊपर
लगाया जाने वाला बल
उसके नीचे की
सतह से भारी हो जाता है
प्रेम अतल
गहराई में हमेशा के लिए खो जाता है.
जीवन में
आदर्श खोजता मैं आगे बढ़ता हूँ
रास्ते किनारे
बॉयल, चार्ल्स और गे-लुसाक
अपनी-अपनी खोज
सुना रहे हैं
और आदर्श गैस की
खूबियाँ बता रहे हैं
मैं चाव से
सुनता जाता हूँ
अंत मैं वे सामूहिक
घोषणा करते हैं -
“असली ज़िन्दगी
में कोई भी गैस आदर्श नहीं होती”
मैं भौंचक्का
रह जाता हूँ!
पीछे के जंगल
से डार्विन की आवाज़ गूंजती है-
“बदलो! या
नष्ट हो जाओ!!”
मैं गहरी सोच
में पड़ जाता हूँ...
पुराना थैला
बाहर ही छोड़
मैं नयी राह
से घर लौट आता हूँ
आधा चाँद::
मेरे लिए
विशालकाय हो जाते हैं तुम्हारे छोटे-छोटे सपने
और मेरे
छोटे-छोटे दुःख
तुम्हारे लिए
विपत्तिकाल
आंसुओं के
अभाव में
चीज़ें अपने
वास्तविक आकार में लौट आती हैं
प्रेम भी
मैं तुम्हें
करते रहना चाहता हूँ प्रेम
जब तक ज़िन्दगी
रहे
या जब तक
यादें रहें
जो ज्यादा देर
तक रहे मैं उसमें तुम्हें बीज देना चाहता हूँ
फिर बोना
चाहता हूँ जीवन को यादों में
फिर यादों को
अपार फैले क्षितिज में
उसके मन को
कुरेदते हुए अपने उम्र भर लंबे नाखूनों से,
और फिर रोप
देना चाहता हूँ जीवन से उधार मिली सारी मासूम मुस्कुराहटें तुममें
उम्र के बाद
प्रेम का बढ़ना भी रुक जाएगा उम्र की ही तरह
कुछ भी बढ़ता
नहीं देख पाएंगे हम अपने बाद
बावजूद इस के कि
तुम रोते हुए बहुत ख़ूबसूरत लगती हो
मैं अब भी
अपनी हथेलियों के आधे चाँद में
तुम्हारी पहली
मुस्कराहट ढूँढता हूँ
जुग-जुग जीने वाले
सूर्य
ब्लैक होल में
बदल जाने को श्रापित हैं
हम जियें बस
एक छोटा सा जीवन साथ-साथ
इन अंधेरों में
प्रेम और मुस्कुराहटें बीजते हुए
तुम सेब
मत खाना ::
इसकी बातों
में न आया करो तुम
कुछ भी बकती
है यह दुनिया तो
बस अपने मन
मुताबिक कहावतें गढती है
अगर प्रेम में
देह ज़रुरी नहीं तो क्यूँ लगाये रहते हैं भीड़ मंदिर, मस्जिद और गिरजाघरों में?
ये इनकी इक
लंबी साज़िश है हमें दूर रखने की
इतनी लंबी कि
इसके एक छोर पर अछूते की गठान है
तो दूसरे पर
अलौकिक देवत्व की पतंग
मत खाना इनके
सेब!
छूने दो मुझे
तुम्हें
मेरी तर्जनी
के प्लेटोनिक पोर को अपनी तर्जनी को सहलाते हुए अनामिका तक आने दो
और हो जाने दो
मुझे विकृत साबित इस स्पर्श से
मुझे सौंप दो मेरा
प्रेम तुम
मेरा दैहिक-प्लेटोनिक
प्रेम!
तुम न गठान हो
न पतंग मेरे लिए
न नाचती हुई
देवदासी
मत पूछो क्या
हो, मैं भी नहीं जानता
तुम बस ये
देखो कि आज इन्द्रधनुष में छः ही रंग हैं
और भँवरे
केंचुली छोड़ रहे हैं
नदियाँ बरस
रही हैं बादलों पर बहुत तेज़
और पता नहीं क्यूँ
आज बगुलों का झुण्ड पहले से बहुत बड़ा है
पर बगुले नहीं
हैं उसमें
बस सियार उड़
रहे हैं गुलाबी
वे बहुत
खूबसूरत लग रहे हैं
पर उनके रंग
पर मत जाना...
वे धीरे-धीरे
रंग छोड़ते हैं
उनके सेब मत
खाना!
प्रेम की उजली, नयी और मौलिक परिभाषाओं वाली कवितायेँ जिनमें सभी अनुसंधानों और दर्शनों से प्रेम को सर्वोपरि बताया गया है.आजकल ऐसी मन को छूने वाली प्रेम कविताओं का अभाव होता जा रहा है.मगर इन कविताओं के कथ्य और शैली में जीवन और साहित्य में प्रेम के योगदान को यथोचित सम्मान दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअमित की कविताओं में जीवन को देखने की एक सतर्क और भौतिकवादी दृष्टि है जो फिजूल की वायवीयता को नकारती और जीवन यथार्थ को स्वीकारती चलती है । आभार अपर्णा जी का इन कविताओं की प्रस्तुति के लिए और अमित को बधाई ।
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव प्रवण और चिंतनीय
जवाब देंहटाएं...’करने’ के निरर्थक प्रयास से परे और ’होने’ का भाव लिये ...’हुआ’ सृजन। अद्धभुत हैं कवितायें।
जवाब देंहटाएंbehut saarthk rachnaayen ...
जवाब देंहटाएंगज़ब की कवितायें .....निशब्द हूँ . अमित को बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर रचना है
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर कविताएँ हैं ।सेव वाली 👌😊
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